ए मोहोबत तु कभी मुजसे रूठना मत !

ए मोहोबत मुजे ज़रा वक़्त लगेगा
तु कभी मुजसे रूठना मत !


कुछ वक़्त खर्च होगा भरोसा दिलाने मे 
कुछ वक्त खर्च होगा इरादों को मखसद बननाने में


कुछ वक्त लगेगा तुझे पाने में
हो सके तो तू रूठना मत


मैं जानता हूँ तू मेरे लिए रुक नहीं सकती
मेरी बातों में आकर तू फस नहीं सकती


तू मेरे अल्फाज़ नहीं तू मेरे दिल की ज़ुबान समझती है
मुझसे दूर रहकर तू हर वक्त मुझे परखती है


जब मिलेंगे हम तो थोड़ा हस कर थोड़ा रो कर दिखाऊंगा
टूटते - टूटते सँभलने के हज़ारो किस्से सुनाऊंगा
ए मोहोबत मुजे ज़रा वक़्त लगेगा
तु कभि मुजसे रूठना मत !


मेरी कोशिशों को पहचान मिलनी बाकी है
मेरे पागलपन का इम्तेहान अभी बाकी है
पर तुझे पाने का जज़्बा अभी काफी है 
तुझसे मिलने का ख्वाब अभी पूरा होना बाकी है


खुदसे किया है जो वादा वह ज़रूर निभाउंगा
तू मुझसे नाराज़ होजाना मैं तुजे शिद्धत से मनाऊंगा


तू ठिकाने बदलती रेहना मैं तुझ तक पहुँच कर दिखूँगा
तू बस थोड़ा सा सबर रखना, हो सके तो मेरी चाहत की कदर रखना
ए मोहोबत मुजे ज़रा वक़्त लगेगा


तु कभी मुजसे रूठना मत !

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